✓ जोन-04 अंतर्गत किया गया, विधि विरुद्ध बालको को आपराधिक गतिविधियो/अपराध से विरत रहने हेतु सेमिनार का आयोजन।

✓ सेमिनार में सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से विधि विरुद्ध बालको के परिजनो को, बालकों के समग्र विकास हेतु शिक्षा पर ध्यान दे, उन्हें स्वावलंबी बनाने हेतु दी उचित समझाईश ।

✓ विधि विरुद्ध बालको को नशे के दुष्परिणाम से अवगत करवा, की जा रही है उनकी मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों से काउन्सलिग ।

इंदौर- शहर में नाबालिक बालकों को अपराध व नशे की दुनिया से दूर कर, उन्हें अच्छे समाजिक परिवेश की मुख्य धारा में जोड़ने के उद्देश्य से पुलिस कमिश्नर इंदौर श्री संतोष कुमार सिंह के दिशा निर्देशन में इंदौर पुलिस द्वारा लगातार नित नए अभिनव प्रयास किये जा रहे हैं।

इसी कड़ी में आज दिनांक 15-02-2025 को पुलिस उपायुक्त नगरीय इंदौर जोन-4 श्री ऋषिकेश मीणा के मार्गदर्शन में उनके कार्यालय में विधि विरुद्ध बालको के परिजनो को आपराधिक गतिविधियो/अपराध से विरत रहने हेतु उनकी उचित परवरिश/सोशल मीडिया उपयोग पर निगरानी रखने हेतु सेमिनार के तृतीय चरण का आयोजन किया गया, जिसमें आनंदश्री महिला बाल कल्याण समिति जूनी इन्दौर के अध्यक्ष श्री ओमप्रकाश दुबे, वेदवती महिला सेवा संस्थान स्वास्तिक नगर इन्दौर की अध्यक्ष/समाजसेवी कुसुम शर्मा एवं जूविनाइल जस्टिस बोर्ड से चाईल्ड काउन्सलिस्ट/मनोचिकित्सक भाग्यश्री देश पाण्डे सम्मिलित रहे ।

उक्त कार्यक्रम में 10 विधि विरुद्ध बालको के करीब 20-22 परिजन उपस्थित हुये जिन्हे उक्त कार्यक्रम में सम्मिलित समाजसेवी / मनोचिकित्सक द्वारा परिजनो से वन टू वन चर्चा कर विधि विरुद्ध बालको की मनोदशा को समझते हुये उन्हे आपराधिक गतिविधियो/अपराध से विरत रहने हेतु काउन्सलिग कर समझाईश दी गई। बालको के ऐसे परिजन जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है उन्हे स्वावलंबी बनाने के लिए एनजीओ के माध्यम से महिलाओ को घरेलू उ‌द्योग प्रारम्भ करने हेतु आवश्यक प्रशिक्षण, कच्चा माल आदि के संबंध में जानकारी दी गई। बच्चो को नशे से दूर रखने व उनके पुनर्वास हेतु एनजीओ के माध्यम से नशा मुक्ति केन्द्र में उपचार, नियमित शिक्षा, तथा नई स्किल्स सीखने हेतु स्किल्स डेवलपमेन्ट प्लान के जरिये अपराध से विरत रहने बाबत् प्रेरित किया गया। कार्यक्रम में काउन्सलर द्वारा विधि विरुद्ध बालको की दिनचर्या का विश्लेषण कर यह तथ्य प्रकट हुआ कि विधि विरुद्ध बालको का उनके क्रोध पर नियंत्रण नही है। अधिकांश घटना में उनके द्वारा तात्कालिक घटना में क्रोध के आवेश में आकर विधि का उल्लंघन किया गया है। इस पर परिजनो एवं बालको को क्रोध में किये गये कार्य के दुष्परिणाम/प्रभाव से अवगत कराते हुये दैनिक दिनचर्या में योग आदि के माध्यम से तात्कालिक क्षणिक आवेश पर नियंत्रण करने हेतु प्रेरित किया गया । आपराधिक गतिविधियो से जीवन पर पडने वाले दुष्परिणाम से अवगत कराया जाकर पुनः कोई अपराध नही करने की शपथ दिलाई गई ।

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