• आरोपी के द्वारा IMEI क्लोन एवं हजारों सिमकार्ड का उपयोग करते हुए वर्ष 2019 से अभी तक देशभर में सैकड़ों वारदातों को दिया था अंजाम।
  • आरोपी के कब्जे से कई तकनीकी उपकरण एवं इंदौर के 20 हजार सीनियर सिटीजन पेंशन धारियों का डेटा सहित देश के लाखों सीनियर सिटीजन का निजी डेटा मिला है।
  • Lanshuoxing एवं Beetel वायरलेस फोन एवं मोबाईल नेटवर्क बूस्टर सहित कई तकनीक का उपयोग करते थे आरोपी गैंग।
  • फर्जी Digital Arrest गैंग का शातिर आरोपी एवं पूर्व कन्नौज उत्तरप्रदेश के 02 शातिर आरोपी सहित प्रकरण में कुल 03 आरोपी गिरफ्तार।
  • सीनियर सिटीजन फरियादिया को फर्जी डिजिटल अरेस्ट कर उनसे 46 लाख रूपये की ऑनलाइन ठगी को दिया था अंजाम।
  • पुलिस के द्वारा पूर्व में उक्त ऑनलाइन ठगी प्रकरण से संबंधित 42 बैंक खातों को किया गया है, फ्रीज जिनमें मिले थे करोड़ों रूपए के ट्रांजैक्शन।
  • फर्जी Digital Arrest गैंग के सदस्य, लोगो की प्रोफाइल के हिसाब से स्क्रिप्टेड स्पीच जिसमें कॉल पर स्वयं को शासकीय विभागो के अधिकारी, टेलीकॉम रेग्युलेशन अथोरिटी ऑफ इंडिया एवं कस्टम विभाग , पी एफ आर डी ए पेश्न फण्ड रेग्यूलेटरी डिवप्लमेन्ट आथोरीटि के अधिकारी होना बताकर फर्जी कूटरचित दस्तावेज भेजकर पुलिस केस में फंसाने का झूठ बोलकर ऑनलाइन रूपये प्राप्त कर, देते थे वारदात को अंजाम।
  • इंदौर पुलिस द्वारा आरोपी का रिमांड प्राप्त कर की जा रही है विस्तृत पूछताछ ।

इंदौर कमिश्नरेट में लोगों से छलकपट कर अवैध लाभ अर्जित करते हुये आर्थिक ठगी करने वाले की पहचान कर विधिसंगत कार्यवाही करते हुये उनकी धरपकड़ करने हेतु प्रभावी कार्यवाही के निर्देशों के अनुक्रम में ऑनलाइन ठगी की शिकायतों में क्राइम ब्रांच इंदौर की टीम को लगाया गया था।

इसी अनुक्रम में इंदौर क्राइम ब्रांच द्वारा संचालित NCRP पोर्टल पर 65 वर्षीय वृद्ध महिला इंदौर निवासी फरियादिया ने डिजिटल अरेस्ट के नाम से ऑनलाइन ठगी की शिकायत की थी जिसमें उन्होंने अपनी शिकायत में बताया कि दिनांक 11/09/2024 को सुबह मेरे मोबाइल नंबर पर व्हाट्सप्प कॉल आया, जिसने स्वयं को टेलीकॉम रेग्युलेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के दिल्ली हेड ऑफिस से इंक्वायरी ऑफिसर बताया व कहा कि आपके नाम से जिओ कंपनी की एक सिम रजिस्टर्ड है, जिसके माध्यम से इल्लिगल एडवरटाईजिंग और हैरसमेंट का अपराध किया गया है, इसलिये आपके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है आपके नाम से सारे फोन नंबर एक घंटे के अंदर बंद कर दिये जायेगें और कॉल डिस्कनेक्ट हो गया अन्य मोबाईल नम्बर से कॉल आया और बोला गया कि मै सीबीआई ऑफिसर बोल रहा हूं आपके आधार कार्ड से दर्ज एक पार्सल कम्बोडिया भेजा गया है जो कि कस्टम विभाग में है और उस पर इंक्वायरी चल रही है आपके नाम की एक पासबुक भी निकली है जिसमें ड्रग्स, आतंकवाद, मनी लांड्रिंग के लिये करोड़ों के ट्रांजेक्शन मिले है आपके खिलाफ हमने वारंट निकाल दिया है जितने भी आपके पास पैसे हैं उसकी जानकारी हमें दीजिये नहीं तो ठीक नहीं होगा आप पर केस चल रहा है, आप सारा पैसा आरटीजीएस के जरिये हमें ट्रांसफर करिये आपने सारी जानकारी नहीं दी तो आपको और आपके बच्चों को जान का खतरा है, हमारे बताये खाते में सारा पैसा ट्रांसफर करो आप लगातार हमारी सर्विलेंस में रहेंगी और कुछ भी काम या किसी से कोई बात करने से पहले हमसे परमिशन लेंगी और इस संबंध मे किसी से भी कोई बातचीत की तो आपके लिये अच्छा नहीं होगा, दिनांक 13/09/2024 को मैने उनके बताये गये ICICI बैंक के खाते में 40,00,000/- रूपये RTGS के माध्यम से ट्रांसफर किये उसके बाद बंधन बैंक के खाते मे 6,00,000/- रूपये RTGS के माध्यम में ट्रांसफर किये। इस प्रकार अज्ञात व्यक्तियों ने मुझसे मेरे 46 लाख रूपये ले लिये, उनके द्वारा फोन पर मुझे ऑडियो एवं वीडियो कॉलिंग के माध्यम से डरा धमका कर घर मे मानसिक तौर पर अरेस्ट रखा गया और हर दस मिनट की जानकारी उनके द्वारा मुझसे ली गयी। उसके बाद मेरे द्वारा क्राइम ब्रांच व NCRP पोर्टल पर भी उपरोक्त घटना की शिकायत की गयी थी।

फरियादी की शिकायत पर क्राइम ब्रांच इंदौर थाने में अपराध  पंजीबद्ध।

उक्त सूचना पर त्वरित कार्यवाही करते हुए प्रकरण में क्राईम ब्रांच के द्वारा ग्राम सतौरा कन्नौज उत्तरप्रदेश राज्य से फलाह दारेन मदरसा समिति का प्रबंधक (1).आरोपी अली अहमद खान, एवं सह–प्रबंधक (2) असद अहमद खान को दिनांक 05.12.2024 को पूर्व में गिरफ्तार किया गया था। उक्त गिरफ्तार आरोपी द्वारा ग्राम सतौरा कन्नौज उत्तरप्रदेश मे मदरसा चलाना अपना व्यवसाय बताते हुए ऑनलाइन ठगी करने वाली गैंग को अपने उक्त मदरसा समिती का बैंक खाता 50 प्रतिशन कमीशन पर उपलब्ध कराने का कार्य करना कबूला है।

उक्त फर्जी डिजिटल अरेस्ट प्रकरण में इंदौर क्राइम ब्रांच के द्वारा विवेचना के दौरान तकनीकी जानकारी प्राप्त कर आरोपी की दिल्ली पटेल नगर के आसपास की लोकेशन मिली जहां क्राईम ब्रांच मौके पर पहुंची तो देखा उक्त स्थान पर 50 से अधिक मल्टीया है जिसमें आरोपीगण का स्थान ज्ञात करना काफी कठिन था।

क्राईम ब्रांच की अलग–अलग टीम (महिला एवं पुरुष) के द्वारा सभी मल्टियों के आसपास चाय,नाश्ता, पान की दुकान, कैनोपी लगाकर सिमकार्ड बेचने वाले, रिचार्ज करने वाले सभी की जानकारी प्राप्त कर 5 दिनो तक कडी नजर रखी गई उन्हे वॉच किया  गया , एवं उक्त स्थान पर उपलब्ध सभी संस्थान पर क्राईम ब्रांच टीम रिज्यूम लेकर जॉब इंटरव्यू के बहाने इन्टरव्यू दिया गया , जानकारी जुटाई एवं जिन संस्थान में कई चाय नाश्ता एक साथ जा रहा है और वहां कोई ऑफिस बोर्ड नहीं है ऐसे सभी स्थान पर रैकी कर उक्त ऑफिस की वर्किग को वॉच किया किया।

क्राईम ब्रांच के द्वारा तकनीकी जानकारी एवं मौके की रेकी कर आरोपी का डार्क रूम जहां से देश भर में सिनियर सीटीजन को टार्गेट करते हुये कॉल कर उन्हे फर्जी डिजिटल अरेस्ट कर ड़रा-धमका कर धोखाधडी की जा रही थी उक्त कॉल सेंटर पर दबिश दी गई, जहां से आरोपी  (3) ऋतिक कुमार र दिल्ली को गिरफ्तार किया।

आरोपी के कब्जे से बरामद सामग्री:-

(1).GSM fixed wireless phone –07 (Lanshuoxing कंपनी का 01, एवं Beetel कम्पनी के 06)

(2). लोगों को ठगने हेतु स्क्रिप्टेड स्पीच लिखी 10 डायरी, जिसमें लोगों से क्या बात करना है कैसे अपना परिचय देना है, पहले से लिखकर रखते थे।

(3).Attendence, salary, देश भर के फर्जी VI simcard के कुल 03 रजिस्टर

(4).01– मॉनिटर, 01– प्रिंटर ,

(5).  07 की–पैड फोन (क्लोनिंग हेतु सिमो की एक्टिवेट करने के उपयोग होने वाले)

(6).कलिंग में अवरोध न हो इसलिए 01 Network Booster डिवाइस का उपयोग किया जाता था

आरोपी से पूछताछ करते बताया कि वह BA की पढ़ाई किया हुआ है और उक्त स्थान से आरोपी अपनी फर्जी डिजिटल गैंग के अन्य साथी आरोपियों के साथ मिलकर देश भर में सीनियर सिटीजन को कॉलिंग करते थे, आरोपी के कब्जे से उक्त सेन्टर से  इंदौर के 20 हजार सीनियर सिटीजन पेंशन धारियों का डेटा सहित देश के लाखों सीनियर सिटीजन का निजी डेटा मिला है जिसमें उनके आधार नंबर, पैनकार्ड, फैमिली डिटेल्स, जॉब की डिटेल्स आदि की जानकारी होना पाई गई।

आरोपी के कब्जे से मिले रजिस्टर में वर्ष 2024 से अभी तक 500 सिमकार्ड VI कंपनी की ठगी हेतु उपयोग करने का उल्लेख मिला, जिसका उपयोग कर वारदात की गई थी, एवं आरोपी गैंग विभिन्न तरह से ऑनलाइन ठगी वर्ष 2019 से करते हुए करीब 3 हजार से ज्यादा सिमकार्ड ऑनलाइन ठगी हेतु उपयोग करना स्वीकार किया है।

क्राईम ब्रांच के द्वारा तकनीकी जांच में पाया की डेढ़ दर्जन से अधिक विभिन्न कम्पनी के मोबाइल का IMEI सेम होना पाया जिसे ठग गैंग के द्वारा क्लोनिंग कर बनाया गया था।आरोपी का पुलिस रिमांड प्राप्त कर गैंग के अन्य सदस्यों एवं अन्य कई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने हेतु पूछताछ की जा रही है। प्रकरण में अन्य कई खुलासे होने की संभावना है।

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